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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।

उत्तर -

एकीकृत प्रणाली दृष्टिकोण

एकीकृत प्रणाली दृष्टिकोण (Intergrated Systems Approach-ISA- आई०एस०ए०) का तात्पर्य एस०डी० की कार्यनीतियों और योजनाओं की रचना करने और अपनाने से है, जो पर्यावरण, सामाजिक और आर्थिक आयामों को एकीकृत करते हैं और उनके संपर्क को मान्यता देते हैं। संयुक्त राष्ट्र विभाग के आर्थिक और सामाजिक मामलों की (UN Department of Economic and Social Affairs UN-DESA) अपनी प्रकाशित रिपोर्ट में कहा कि एकीकरण, समावेश और सुसंगतता की कमी थी, क्योंकि राष्ट्र अधिकतर आर्थिक विकास और गरीबी को कम करने पर ध्यान केंद्रित करते थे। पर्यावरण और सतत विकास के मुद्दों के संबंध में समाजों की जटिल समस्याओं के समाधान की अपेक्षा नियोजन दृष्टिकोण जैसे बुखारी (Silos) में काम करता है। सरकारों को प्रणालियों और उनकी उप-प्रणालियों के बीच के परस्पर संपर्क पर विचार करने की आवश्यकता है, उदाहरण के लिए पानी, ऊर्जा और पर्यावरण-प्रणाली और उनके प्रभाव जैसे भविष्य में जलवायु परिवर्तन। इसने यह भी कहा कि पारंपरिक क्षेत्र - आधारित दृष्टिकोण और उपकरण इस उद्देश्य के लिए उचित नहीं है, क्योंकि चुनौतियां प्रकृति में अधिक जटिल और प्रणालीगत है। यह एस०डी० योजना और रणनीति तैयार करने (यू० एन०, UN, op.cit.) में एकीकृत प्रणाली दृष्टिकोण के महत्व का आधार है।

कुछ विद्वानों और कार्यनीतिकारों ने अलग दृष्टिकोण के रूप में एक परिवर्तन दृष्टिकोण (Transition approach) दिया है, लेकिन वास्तव में परिवर्तन आई०एस०ए० का एक भाग है। जब तक पारंपरिक तरीकों से परिवर्तन नहीं होता है, एस०डी०जी० (सतत विकास लक्ष्य) कार्यावली का 2030 के किसी भी तरह से निकट पहुंचना कठिन होगा। परिवर्तन के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा निर्धारित क्षेत्र नियम दिए गए हैं-

(i) सहायक राजनीतिक प्रणाली;
(ii) प्रभावी नियोजन एजेंसियां;
(iii) जानकारी तक पहुंच;
(iv) मजबूत संयुक्त राष्ट्र प्रणाली;
(v) निरंतर समन्वय;
(vi) मीडिया और नागरिक समाज के लिए क्षमता निर्माण;
(vii) बहु- पार्श्व (Multilateral) एजेंसियों में सदस्यता; तथा
(viii) स्कूलों में शिक्षा।

परिवर्तन में मुद्दे (Issues in transition ) - परिवर्तन भी एक आसान प्रक्रिया नहीं है और इसमें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। एस०डी० के प्रति बाधा डालने वाले कुछ प्रमुख कारक हैं-

(i) हितधारकों की कमजोर भागीदारी;
(ii) भ्रष्टाचार;
(iii) भय और असुरक्षा;
(iv) वित्त और ऋण की कमी;
(v) अस्थिरता और आंतरिक / बाहरी संघर्ष;
(vi) ज्ञान में अंतराल; परिवर्तन का विरोध;
(vii) पारदर्शिता की कमी;
(viii) नागरिक समाज को मान्यता;
(ix) डेटाबेस की कमी; तथा
(x) युवा रोजगार।

एस०डी० के प्रति परिवर्तन में बाधा डालने वाले उपयुक्त कारकों को अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों और राष्ट्रों द्वारा नीतियों के निर्माण और उन्हें एस०डी०जी० के लिए लागू करने से पूर्व विचार करना चाहिए। बुखारी में अर्थात् अलग-अलग काम करने से होने वाली नकारात्मक प्रतिक्रिया का कारण एक प्रणाली दृष्टिकोण आवश्यक है, अर्थात् अलगाव, उदाहरण के लिए सामाजिक और पर्यावरणीय विचार के बिना आर्थिक विकास को बढ़ावा देना।

आई०एस०ए० का महत्व

निम्नलिखित कारणों से एस०डी० को लागू करने के लिए आई०एस०ए० (ISA) सबसे अच्छा समाधान है-

(i) समग्र (Holistic) - पृथ्वी जीवन समर्थन प्रणाली में भूमि, जलवायु और पानी सम्मिलित है, जिसमें मानव निवास संपूर्णता का एक भाग है। सामाजिक और आर्थिक दोनों रूप से, विनाश- सवर्नाश वाले जलवायु परिवर्तन के रूप में पर्यावरण- श्रृंखला को समग्र रूप से देखने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, बाढ़ या सूखे से अकाल और बीमारियां होती हैं, जो समाज पर संपूर्ण रूप से प्रतिकूल प्रभाव डालती हैं। गरीब और गरीब हो जाता है और अमीर सामाजिक अन्याय के प्रमुख और अमीर बन जाते हैं।

(ii) स्थानीय विचारधारा (Local consideration) - किसी देश या क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति की अपनी विशिष्ट समस्याएं होती हैं और एक भी नीति एस०डी०जी० को प्रभावी ढंग से लागू नहीं कर सकती है। भूगोल, अवधि, सांस्कृतिक मापदंडों आदि की गणना के स्थान के विषय में डेटा (आंकड़े) होना महत्वपूर्ण है। हालाँकि, वैश्विक प्रभाव को स्थानीय व्यक्तिगत प्रयासों से व्यवहार में नहीं लाया जा सकता है।

(iii) सहक्रिया द्वारा संयुक्त प्रयास (Combined efforts via synergism) - सहक्रिया का अर्थ है दो या दो से अधिक एजेंसियों के संयुक्त प्रयास, जो आई०एस०ए० में बेहतर परिणाम के लिए एक से अधिक एस डी जी के लिए कार्य करते हैं। एक से अधिक एस०डी०जी० की एक साथ उपलब्धि के लिए लक्षित करने पर लागत बचत हो सकती है। यूरोपीय संघ ने एक अध्ययन में अनुमान लगाया कि एकीकृत जलवायु कानून स्वास्थ्य लागत और पर्यावरण क्षरण (भविष्य पृथ्वी - Future Earth, 2019 ) से संबंधित प्रत्यक्ष लागतो में प्रतिवर्ष 50 बिलियन बचा सकता है।

आई०एस०ए० (ISA) का कार्यान्वयन

भविष्य पृथ्वी समूह (Future earth) एक अंतर्राष्ट्रीय एजेंसी है, जो वैश्विक सत्ता के त्वरण तेजी के लिए अनिश्चित रचना और समाधान का काम करती है। इसने संभावित एस०डी०जी० नीतियों के प्रभावों का आकलन करने में सरकारों की सहायता करने के लिए सात बिंदु पैमाने का प्रस्ताव दिया। एस०डी०जी० की परस्पर क्रिया के मूल्यांकन के लिए सात संकेतक हैं-

एस०डी०जी० सहभागिता की गणना करने के लिए एक मापक

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भविष्य पृथ्वी द्वारा दिया गया उदाहरण वायु प्रदूषण को कम करने के सात - बिंदु पैमाने की व्याख्या करने के लिए उपयुक्त है। प्रणाली दृष्टिकोण एस०डी०जी० पर विशेष रूप से ध्यान केंद्रित करने का प्रस्ताव नहीं करता है, लेकिन सामाजिक - पारिस्थितिक लचीलापन जैसी प्रणाली के व्यापक-स्तरी विशेषताओं को स्वीकार करता है। क्षेत्रों, अभिनेताओं और देशों में गतिशील संपर्क विकसित किए जाने चाहिए। उदाहरण के लिए, वित्त क्षेत्र में, उच्च आय वाले देशों में निजी कंपनियों के लिए टैक्स ब्रेक (सरकार द्वारा कर रियायतें या लाभ की अनुमति) की स्थापना की जा सकती है, जो उत्पादों और सेवाओं के निर्माण के लिए निम्न आय वाले देशों में बहुत लंबी अवधि के निवेश करते हैं (उदाहरण तिमाही की अपेक्षा दशकों से मापी गई प्राप्ति (returns)) उन साझेदारियों के साथ मिलकर, जो उनकी अर्थव्यवस्थाओं को विकसित करने में सक्षम बनाते हैं। क्षेत्रों, अभिनेताओं और देशों में इस तरह के संबंधों में सुधार से व्यवस्थित एस०डी०जी० कार्यान्वयन को बेहतर बनाने के लिए कई प्रकार के रचनात्मक साधनों का पता चल सकता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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